कभी सपने, कभी आँसू, कभी काजल की तरह
कभी सपने, कभी आँसू, कभी काजल की तरह चश्म-दर-चश्म भटकता फिरा बादल की तरह ज़िन्दगी मेरी मरुस्थल है, हर इक बूँद मुझे रोज़ दौड़ाती रही है किसी पागल की तरह ऐसा लगता है कहीं पास, बहुत पास है तू सरसराती है हवा जब तेरे आँचल की तरह चन्द रोज़ा हैं ये ख़ुशियाँ, … Continue reading कभी सपने, कभी आँसू, कभी काजल की तरह
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed